आदत पड़ चुकी है
तेरे विचारों
और उद्घोषणाओं का बोझ लादने की
मेरी सोच पर है
तेरा नियंत्रण
मेरे निर्णय
मेरे अपने नहीँ
संचालित हो रहा है
मेरा सब कुछ
मेरे प्रतिनिधि के द्वारा
बेहत्तर की कल्पना के लिए
तेरे हाथों में सोंपा था
बच्चों का भविष्य
बूढ़ी माँ को
जीवन के सुखद-आरामदेह
अंतिम क्षण देने की शपथ
सब कुछ ...
अब आती है तरस
खुद पर
और दोषी करार करता हूँ
स्वयं को
कुछ था
जो उस वक्त
समझ नहीं पाया था ...
तू ठहरा
आकाश का प्राणी
और तेरे आशीष
उपर से निकलकर
उधर ही
तुम्हारे इर्द-गिर्द
सुरक्षा-घेरों द्वारा
सोक लिए जाते हैं
और पृथवी पर हम
आशा बाँधे बैठे हैं
कि कब हमारी ज़मीन पर
तेरे कदम न सही
तेरी कृपा की
एक बूँद टपक पड़े।
विनय
22/09/07
तेरे विचारों
और उद्घोषणाओं का बोझ लादने की
मेरी सोच पर है
तेरा नियंत्रण
मेरे निर्णय
मेरे अपने नहीँ
संचालित हो रहा है
मेरा सब कुछ
मेरे प्रतिनिधि के द्वारा
बेहत्तर की कल्पना के लिए
तेरे हाथों में सोंपा था
बच्चों का भविष्य
बूढ़ी माँ को
जीवन के सुखद-आरामदेह
अंतिम क्षण देने की शपथ
सब कुछ ...
अब आती है तरस
खुद पर
और दोषी करार करता हूँ
स्वयं को
कुछ था
जो उस वक्त
समझ नहीं पाया था ...
तू ठहरा
आकाश का प्राणी
और तेरे आशीष
उपर से निकलकर
उधर ही
तुम्हारे इर्द-गिर्द
सुरक्षा-घेरों द्वारा
सोक लिए जाते हैं
और पृथवी पर हम
आशा बाँधे बैठे हैं
कि कब हमारी ज़मीन पर
तेरे कदम न सही
तेरी कृपा की
एक बूँद टपक पड़े।
विनय
22/09/07
9 comments:
kuchh aur poems bhi post karein!
Jitendra Bhagat
Delhi University
PLZ send meaning of this word-
उद्घोषणाओं
Dr. jitendra bhagat
jitjiten@gmail.com
vinay ji aap mauritius men bhi hindi prem banae hue hain badi achhi baat hai....
बहुत बेहतरीन| धन्यवाद|
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ..
बुधवारीय चर्चा मंच पर है
आप की उत्कृष्ट प्रस्तुति ।
charchamanch.blogspot.com
्विचारणीय
अब आती है तरस
खुद पर
और दोषी करार करता हूँ
स्वयं को
कुछ था
जो उस वक्त
समझ नहीं पाया था ...
..sach bahut kuch samjh bahut der baad hi aa paati hai..
bahut badiya saarthak chintan karati prastuti
वाह अतिसुन्दर रचनात्मक कृति
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